यह आकाश…
- February 06, 2021
- by
- admin_chubbylittlegirl
जैसे हथेलियों से फिसलता हुआ रेत वैसे ही यह आकाश है,
कभी एक छोर से दूसरे छोर तक दिखता, पर अब तो सिमटता हुआ सा यह आकाश है,
इस कंक्रीट जंगल में जगह बनाती हुई यह नई ईमारत और मेरी छत से दिखता सिर्फ यही टुकड़ा आकाश है,
…..और आज जब महीनों बाद यह ईमारत लगभग तैयार हो गई तब मेरे पास बचा सिर्फ यही आकाश है।